Posts

Showing posts from February, 2020

Atmanubhav ki Vidhi

Image
आत्मानुभव की विधि (from अध्यात्म न्यायदीपिका)

Laghu Pratikraman Notes

Notes for Laghu Pratikraman 5 मिथ्यात्व - एकांत, संशय, विपरीत, अज्ञान, विनय  (तत्वार्थसूत्र pg. 510-511) 12 अव्रत - पांच इन्द्रिय और मन के विषय एवं ५ स्थावर और एक त्रस की हिंसा. इन १२ प्रकार के त्याग रूप भाव न होना (तत्वार्थसूत्र pg. 514) 15 योग - मनोयोग के ४, वचन के ४ और काय के ७  25 कषाय - क्रोध, मान, माया लोभ * ४ (अनंतानुबंधी, अप्रत्याख्यान, प्रत्याख्यान, संजुलन) + ९ नोकषाय  3 दंड - मन, वचन, काय की अशुभ प्रवृति - यह तीन दंड है | रत्नकरण्ड श्रावकाचार pg. 304) 3 शल्य - १. मिथ्यादर्शन शल्य २. माया शल्य ३. निदान शल्य (रत्नकरण्ड श्रावकाचार pg. 317 - 320, तत्वार्थसूत्र pg. 484) 3 गारव - 3 मूढ़ता - (सम्यक्तव की घातक) १. लोकमूढ़ता २. देवमूढ़ता ३. गुरुमूढ़ता  (रत्नकरण्ड श्रावकाचार pg. 37 - 48 , 234) 4 आर्तध्यान - १. अनिष्ट संयोगज २. इष्ट वियोगज ३. रोग जनित ४. निदान जनित  (रत्नकरण्ड श्रावकाचार pg. 345 - 353) 4 रौद्रध्यान - १. हिंसानन्द २. मृषानंद ३. स्तेयानंद ४. परिग्रहानंद (रत्नकरण्ड श्रावकाचार pg. 353 - 356) 4 विकथा - १. चोरकथा २. स्त्रीकथा ३. राजकथा ४. भोजन कथा  (रत्नकरण्ड श्र